हिन्दी आन्दोलन
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*आंदोलन*
प्रारंभ हुआ है एक आंदोलन,
प्राणबँध जहाँ न्यौछावर हैं
जहाँ सपूत शिवाजी से हैं,
जिसमें सुभाष-सा आवेश है।
हिन्दी के अभिमान के लिए
संकल्पित सब अभिलेख हैं
जहाँ बलिदानी लक्ष्मी बाई है
जिसमें झलकारी-सा निर्देश है।
राष्ट्रभाषा का गौरव मिले
निज प्राणों का वैभव ऐसा
जहाँ समर में अर्जुन योद्धा,
जिसमें लक्ष्मण-सा उपदेश है।
पुन: विश्वगुरु बनेगा भारत,
कर्तव्यपथ की है यह हुंकार
जहाँ कलाम भी सिपाही बनते
जिसमें महाराणा-सा सर्वेश है।
हृदयतल से आमंत्रण देते
रण में गूंजन हो हिन्दी का
भरत का गौरव तन इसका
जिसमें शकुंतला-सा वेश है।
सद्भावना का संचारपथ
राष्ट्र को सर्वस्व समर्पित
सजग प्रहरी वीर तेजा से
जिसमें विवेकानंद-सा लेश है।
धरा के स्वाभिमान की रक्षा,
हर भारतवंशी की हैं प्रतिज्ञा
कर्म जहाँ स्वीकारे हमने
जिसमें मदन-सा संदेश है ।
हर कर जुड़कर लिखे राष्ट्रप्रेम
राष्ट्र ही हो जहाँ सबसे पहले,
जहाँ आत्मा में चैतन्यता होती
जिसमें भगत-सा परिवेश है।
प्रारंभ हुआ है एक आंदोलन,
प्राणबँध जहाँ न्यौछावर है
जहाँ सपूत शिवाजी से है,
जिसमें सुभाष-सा आवेश है।
*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
*हिन्दीग्राम, भारत*