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संस्थापक

डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’

 

 

 

 

 

 

 

 

भारत माँ के स्वाभिमान पर जब-जब भी आँच आई है, तब-तब धरा पर सपूतों का जन्म हुआ है। ऐसे ही 29 अप्रैल 1989 शनिवार को मध्य प्रदेश के सेंधवा में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा से एक क्रांतिकारी पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम अर्पण रखा गया। अर्पण अपने माता-पिता के दो बच्चों में से सबसे बड़े हैं। उनकी एक छोटी बहन नेहल हैं। उनके पिता सुरेश जैन गृह और सड़क निर्माण का कार्य करते हैं। आपके दादा बाबूलालजी एक राजनैतिक व्यक्तित्व रहे। अर्पण जैन मध्य प्रदेश के धार जिले की छोटी-सी तहसील कुक्षी में पले-बढ़े। आरंभिक शिक्षा कुक्षी के वर्धमान जैन हाईस्कूल और शा. बा. उ. मा. विद्यालय कुक्षी में हासिल की, तथा फिर इंदौर में जाकर राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत एसएटीएम महाविद्यालय से संगणक विज्ञान (कम्प्यूटर साइंस) में बेचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कंप्यूटर साइंस) में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही अर्पण जैन ने सॉफ्टवेयर व वेबसाईट का निर्माण शुरू कर दिया था। इसी दौरान सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी भी की।
सपने बड़े होने के कारण स्वयं की कंपनी बनाने का ख़्वाब पूरा करने में अर्पण जुटे तो सही परन्तु दो माह बिना नौकरी के भी घर पर ही भविष्य की रणनीति बनाने के दौरान सभी बचत ख़त्म कर चुके अर्पण के जेब में मात्र 150 रुपये ही बचे थे। मात्र 150 रुपये लेकर 11 जनवरी 2010 को ‘सेन्स टेक्नोलॉजीस की शुरुआत हुई। अर्पण ने फॉरेन ट्रेड में एमबीए किया तथा पत्रकारिता के शौक़ के चलते एम.जे. की पढाई भी की है। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। समाचारों की दुनिया ही उनकी असली दुनिया थी, जिसके लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर के व्यापार के साथ ही ख़बर हलचल वेब मीडिया की स्थापना की।
इसी दौरान पत्रकारिता के उन्नयन हेतु कई पत्रकारिता संगठन में कार्य किया। वर्ष 2014 में शिखा जैन जी से उनका विवाह हुआ। विवाह उपरांत भी तन्मयता से पत्रकारिता और भाषा के सौंदर्य को स्थापित करने के लिए अर्पण सतत् संघर्षरत् रहे। जैन ने कई संस्थाओं के साथ जुड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में भी और अन्य सामाजिक कार्यों और जनहितार्थ आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।
समाचारों की दुनिया से जुड़े होने के कारण अर्पण का हिन्दी प्रेम प्रगाड़ होता चला गया, इसी के चलते वर्ष 2016 में अर्पण ने मातृभाषा.कॉम की शुरुआत की और फिर तब से लेकर आज तक हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्यरत् रहे। इस दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में हिन्दी भाषा के महत्त्व को स्थापित करने के लिए यात्राएँ की, जनमानस को हिन्दी से जोड़ा और मातृभाषा उन्नयन संस्थान और हिन्दीग्राम की स्थापना की। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सतत् प्रयासरत् हैं, इसी प्रकल्प में योगगुरु और पतंजलि योगपीठ के सूत्रधार स्वामी रामदेव जी का आशीर्वाद मिला। वर्तमान में हिन्दी के गौरव की स्थापना हेतु व हिन्दी भाषा को राजभाषा से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए संघर्षरत डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ भारतभर में इकाइयों का गठन करके आंदोलन का सूत्रपात कर रहे हैं, और वे मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और हिन्दीग्राम के संस्थापक भी हैं।
डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ का ध्येय वाक्य है ‘हिन्दी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में’, इसी को सम्पूर्ण राष्ट्र का समर्थन मिल रहा है। डॉ. जैन ‘एक घंटा राष्ट्र को, एक घंटा देह को और एक घंटा हिन्दी को’ जैसा आह्वान भी जनता से कर रहे हैं, जिसे भरपूर समर्थन मिल रहा है। अर्पण अब तक 7 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं तथा वर्तमान में ख़बर हलचल न्यूज़ व मासिक साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक भी हैं।
अपने ही देश में हिन्दी को स्थापित करने के उद्देश्य से डॉ. जैन ने मातृभाषा उन्नयन संस्थान के माध्यम से भारत के 11 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा 11 जनवरी 2020 को विश्व पुस्तक मेला 2020, प्रगति मैदान दिल्ली में विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसी के साथ हिन्दी प्रचार के लिए सतत् प्रयत्नशील हिन्दी योद्धा डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ को कई सम्मान व पुरस्कारों ने सम्मानित किया जा चुका है।

भ्रमण भाष : +91-9893877455
अणुडाक :arpan455@gmail.com
अंतरताना : www.arpanjain.com