भारत वह राष्ट्र हैं जहाँ हर पग पर पानी और बानी बदल जाती है फिर भी इस राष्ट्र की एकसूत्रीय भाषा हिन्दी मानी गई हैं| राष्ट्र के विश्वगुरु बनने की यात्रा का प्रथम पड़ाव भी भारत में भाषा की स्थापना ही माना जाएगा | क्योंकि एक राष्ट्र का संपूर्ण गौरव उस राष्ट्र के निवासियों में निहित भाव और संस्कृति के प्रति समर्पण से ही निर्मित होता हैं | इसी तारतम्य में भारत के प्रत्येक ग्राम को आदर्श हिन्दी ग्राम के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना जिसे तैयार किया है डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने | उसी परिकल्पना को धरातलीय करने के उद्देश्य से इस पुस्तक का निर्माण किया गया हैं | भरत का भारत हिन्दी के अभिमान से शोभित हैं | परंतु दुर्भाग्य है इस राष्ट्र का कि स्वतंत्रता के लगभग ७ दशक बीत जाने के बाद भी राजनैतिक ज़ंजीरों के कुत्सित प्रयासों से यह राष्ट्र अपनी मातृभाषा हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं बना पाया | जिस तरह इस राष्ट्र में राष्ट्रगान, राष्ट्र चिन्ह, राष्ट्र ध्वज, राष्ट्र गीत, राष्ट्रीय पशु-पक्षी सबकुछ है सिवा राष्ट्र भाषा के |
राष्ट्रभाषा की एक आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि राष्ट्र के प्रतिनिधित्व के समस्त प्रमाण राष्ट्रीय एकता तो दिखाते हैं किन्तु भाषाई एकता ही राष्ट्र की अखंडता को परिभाषित करती हैं | और साथ ही जिस तरह से राष्ट्र के प्रतिनिधित्व ध्वज, गीत, गान,पशु, पक्षी आदि के अपमान का जो दंड संवैधानिक रूप से निर्धारित है वह राष्ट्रभाषा के अपमान का भी हो | ताकि एक राष्ट्र में भाषा के कारण दूसरे राष्ट्र का जन्म ना हो सके | भारत की संस्कृति प्रशांत महासागर के समान गहरे हृदय वाली है, परंतु यहाँ हिन्दी का अपमान हो यह हिंद के निवासियों के लिए असहनीय भी हैं | साथ ही देश की सांस्कृतिक अखंडता को बचाने और संस्कृति के संरक्षण हेतु भी जनभाषा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनना चाहिए | एक आदर्श ग्राम जो भारतीय भाषाओं में समन्वय बनाते हुए हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करता हो, जहाँ हिन्दी के महत्व को स्थापित किया जाता हो, और हर ग्रामवासी हिन्दी में हस्ताक्षर करता हो, हिन्दी में शिक्षित हो, हिन्दी साहित्य का वृहद पुस्तकालय स्थापित हो. जहाँ हिन्दी अनिवार्य शिक्षण में शामिल हो, जहाँ के सभी सूचनापटल और व्यावसायिक पटल हिन्दी में हो | वह परिकल्पना एक नए रूप में ‘आदर्श हिन्दी ग्राम‘ के रूप में भारत में स्थापित हो |
विश्व में प्रथम बार आदर्श हिन्दी ग्राम की परिकल्पना तैयार हुई हैं, जिसके लिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान और हिन्दीग्राम द्वारा मिलकर भारत के प्रत्येक ग्राम को आदर्श हिन्दी ग्राम के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास जारी है | भारत में गांव ही रीढ़ है, भारत की आज भी ७० प्रतिशत से ज्यादा जनता गांव में निवास करती है, इसलिए भारत के गांव के बारे में सबको जानना बहुत जरुरी है कि, भारत में कुल ६४० जिले है जिनमे २५० जिले तो २०११ की जनगणना के अनुसार अति पिछड़े जिले है। इसी सूची अनुसार भारत में ६ लाख, ४९ हज़ार ४ सौ ८१ गांव है, जिसमें सबसे ज्यादा गांव उत्तर प्रदेश में है, और सबसे कम गांव चंडीगढ़ में है, उत्तर प्रदेश में १ लाख ७ हज़ार ७ सौ ५३ गांव है, चंडीगढ़ में सिर्फ १३ गांव है| मातृभाषा उन्नयन संस्थान व हिन्दीग्राम मिल कर भारत के प्रत्येक ग्राम में एक हिन्दी प्रेमी की सहायता से भाषासारथी बनाकर उस ग्राम को परिकल्पना के अनुसार आदर्श हिन्दी ग्राम के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहा हैं |
भारत भाग्य विधाता के रूप में सनातनी स्थापित भारत के ग्रामवासियों को हिन्दी भाषा के प्रति जागरूक करने के लिए नव त्रिभाषा सूत्र की स्थापना करना हमारा प्राथमिक लक्ष्य हैं | क्योंकि जब तक मातृभाषा का सम्मान नहीं होगा अन्य भाषाओं को स्वीकार करने में जनमानस को बहुत कठिनाई आएगी, इसी लिए मातृभाषा के रूप में स्थानीय स्वभाषाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, फिर हिन्दी को बतौर राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकारा जाएगा, फिर वैश्विक भाषा के रूप में अँग्रेज़ी को भी महत्व देना होगा| इसी भाव के साथ भारत के गाँवों को आदर्श हिन्दी ग्राम के रूप में स्थापित किया जाएगा|
इसी परिकल्पना को साकार करने के लिए संस्थान द्वारा भाषा सारथी बनाए जा रहे हैं जिसमे आप भी जुड़ सकते हैं क्योंकि, आज हिन्दी को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने के लिए हमें जुटकर हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना होगा, इसीलिए आपको करना होगा
और भी बहुत सी गतिविधियाँ जो हिन्दी के लिए करनी होगी, यदि आप जुड़कर हिन्दी को आगे लाना चाहते है तो आज ही जुड़िए | भाषासारथी बनकर आप हिन्दी सेवा के महाअभियान का हिस्सा बन सकते है, देश में जल रही प्रत्येक मोमबत्तियाँ एक दिन हिन्दी के मार्ग का उजास बनने के लिए मशाल बनेगी, इतना विश्वास हैं |
भारत की लगभग ५० प्रतिशत से अधिक आबादी हिन्दी में संवाद करती हैं| भारत जब एक भाषा की वैचारिक क्रांति के समर के दौर से गुजर रहा है, ऐसे समय में भाषा के बारे में कई भ्रम भी पनप रहे हैं | ऐसे काल में भारत की अखंडता को ख़तरा भारतीय भाषाओं के कारण न हो, इसलिए भारतीय भाषाओं में आपस में समन्वय होना चाहिए और भारत का हर ग्राम, नगर, प्रांत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के तौर पर स्वीकार करना होगा, इसी उद्देश्य की स्थापना के लिए ‘आदर्श हिन्दी ग्राम’ की परिकल्पना का जन्म हुआ | इसी उद्देश्य की स्थापना हेतु और भारत को पुन: विश्वगुरु बनाने की दिशा में आदर्श हिन्दी ग्राम की स्थापना करना महत्वपूर्ण हैं| आदर्श हिन्दी ग्राम की स्थापना का मूल उद्देश्य हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के साथ-साथ हिन्दी को जनमानस की संपर्क भाषा के तौर पर स्थापित करना हैं| भारतीय भाषाओं के महत्व को स्थापित करना हैं| और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा के गौरव को सम्मानित करना है | स्वभाषाओं के महत्व को बचा कर भारत की सांस्कृतिक विरासत को सहेजना, संस्कारशाला का निर्माण करना और भारत की अखंडता को बचाए रखना हैं|
इसलिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ की कल्पना के अनुसार कुछ बिंदुओं को लेकर एक खाका तैयार किया हैं|
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आदर्श हिन्दी ग्राम उसी को माना जाएगा जो कम से कम निर्धारित मापदण्डों का 80% मापदण्डों को पूरा करे।
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किसी ग्राम को आदर्श हिन्दी ग्राम बनाने के लिए नेतृत्व, स्थानीय समुदायों की भागीदारी, सरकारी योजनाओं के बीच तालमेल, निजी क्षेत्रों एवं स्वेक्षिक संगठनों का सहयोग आवश्यक होता है।
नेतृत्व:- नेतृत्व गुण, क्षमता, प्रतिबद्धता, और ऊर्जा को सकारात्मक प्रयासों में उपयोग में लाना।
समुदाय की भागीदारी:- जन समुदाय की भागीदारी से ग्रामीण हिन्दी विकास योजनाओं को व्यवस्थित तरीके से तैयार करना, श्रमदान एवं जागरूकता बढ़ाने संबंधी कार्य करना।
सरकारी योजनाएं:- जनता की भावनाओं और स्थानीय क्षमताओं के अनुरूप समग्र विकास हासिल करने के लिए विभिन्न केंद्रों और राज्य प्रवर्तित योजनाओं के साथ तालमेल बिठाकर ग्रामीणों में स्व-विकास की भावनाओं को बढ़ावा देना।
निजी क्षेत्र और स्वेक्षिक संगठन:- निजी और स्वेक्षिक संगठनों की पहल के साथ भागीदारी जुटाना ताकि वे स्वस्फूर्त होकर हिन्दी के विकास हेतु आगे आएं।
दीर्घकालिक लक्ष्य:- योजनाओं के विविध तात्कालिक और दूरगामी परिणामों तथा उसकी निरंतरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए अधिकतम सफलता हेतु प्रयास करना।
हिन्दी ग्राम सभा
प्रत्येक गाँव में हिन्दी के प्रचार और शिक्षा के महत्व को स्थापित करने के उद्देश्य से हिन्दी ग्राम सभा का आयोजन होगा |
हिन्दी ग्राम सभा क्या है?
हिन्दी ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गांवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था होगी।गतिशील और प्रबुध्द ग्राम सभा पंचायती राज की सफलता के केंद्र में होती है।
किसी ग्राम की निर्वाचक नामावली में जो नाम दर्ज होते हैं उन व्यक्तियों को सामूहिक रूप से ग्राम सभा से जोड़ कर उन्हें हिन्दी हस्ताक्षर हेतु जोड़ा जाएगा साथ ही ग्राम साक्षरता को भी बल दिया जाएगा | हिन्दी ग्राम सभा की बैठक माह में एक बार होनी आवश्यक है। इस बारे में सदस्यों को सूचना बैठक से 15 दिन पूर्व सूचना पत्र से देनी होती है।
बैठक की सूचना
बैठक की सूचना डुगडुगी बजाकर, लाऊडस्पीकर से और ग्राम पंचायत कार्यालय के सूचना पट्ट पर नोटिस चिपकाकर या अन्य माध्यमों से आम जनता को दिया जाना आवश्यक है।
बैठक की अध्यक्षता
ग्राम सभा की प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता उस ग्राम पंचायत का मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में उप मुखिया करता है। साथ ही हिन्दी ग्राम का प्रतिनिधी जो भाषासारथी हो वह वक्ता के रुप में उपस्थित रहेंगे |
हिन्दी ग्रामसभा के विचारणीय विषय एवं कार्य
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ की परिकल्पना ‘आदर्श हिन्दी ग्राम‘ की सार्थकता तभी है जब प्रत्येक हिन्दीभाषा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए हिन्दी भाषा का सम्मान करें| हिन्दी को राष्ट्रभाषा का मान दिलवाने के लिए प्रत्येक ग्राम नगर प्रांत को आदर्श हिन्दी ग्राम के रूप में स्थापित करें | अधिक जानकारी के लिए www.Hindigram.com भ्रमण करें या संपर्क करें -७०६७४५५४५५