मातृभाषा उन्नयन संस्थान क्या चाहता है?
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किसी भी आंदोलन, संगठन या संस्थान का जन्म किसी न किसी समस्या को सुलझाने या माँग को प्राप्त करने के वृहद उद्देश्य के लिए ही होता है। यह सार्वभौमिक सत्य है जिसमें किसी भी जन्म का एक नियत उद्देश्य होता है और उद्देश्य की स्थापना या प्राप्ति का मूल ध्येय निहित होता है। वर्ष 2016 से प्रारम्भ हुई हिन्दी साधना के पीछे भी उद्देश्य निहित है। उन उद्देश्य में भी भाषाई सामंजस्यता और स्वभाषा हिन्दी की स्थापना मूल उद्देश्य है।
संस्थान का अपना दृष्टिकोण है जिसमें हिन्दी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाना, जनता को जनता की भाषा में न्याय मिलने का प्रबन्ध करना, हिन्दी भाषा के वैज्ञानिक, आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को जनमानस तक पहुँचाना, हिन्दी के समृद्ध साहित्य को जनहितार्थ प्रचारित करना, नवांकुर रचनाकारों को सबलता और प्रोत्साहन देते हुए शुचिता कायम रखना जैसे अनेक उद्देश्य सम्मिलित हैं।
इन उद्देश्यों की स्थापना में देश की सरकारों, जन प्रतिनिधियों, राजनेताओं, लोक सेवकों, साहित्यकारों, पत्रकारों, शिक्षकों, छात्र-छात्राओं, हिन्दीप्रेमियों व आम जन मानस का योगदान भी आवश्यक है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान इन उद्देश्यों की स्थापना के लिए पूर्ण निष्ठा के साथ समर्पित है। इसके लिए हमने एक आदर्श व्यवहारिक स्वरूप भी तैयार किया है। यानी एक ऐसा ख़ाका तैयार किया है जिसके अनुसार आने वाले कुछ ही वर्षों में हिन्दी अपने शिखर स्थान यानी राष्ट्रभाषा के गौरव को प्राप्त करेगी। साथ ही इसके रोज़गारमूलक भाषा होने की दिशा भी सुनिश्चित होगी तथा देश में मुख्य सम्पर्क भाषा या कहें जनभाषा के तौर पर भी स्थापित होगी।
हिन्दी सेवा और प्रचार-प्रसार के लिए सबसे पहले दो कदमों में हमने चुना ‘हस्ताक्षर बदलो अभियान’ और ‘जन समर्थन अभियान’।
हस्ताक्षर बदलो अभियान
संस्थान द्वारा राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर बदलो अभियान संचालित किया जा रहा है, जिसमें हमें हमारे जीवन की सबसे छोटी इकाई हस्ताक्षर को स्वभाषा में करना होगा। यदि आप अँग्रेज़ी में हस्ताक्षर करते हैं तो केवल एक छोटा-सा परिवर्तन कीजिए, यकीन मानिए आपकी एक आदत बदलने से हमारी मातृभाषा हिन्दी राष्ट्रभाषा का गौरव हासिल कर सकेगी और स्वभाषा से प्रेम भी प्रदर्शित होगा, साथ ही, स्वभाषा और हिन्दी को महत्त्व मिलेगा। ‘एक कदम इंडिया से भारत की ओर’ के अंतर्गत हस्ताक्षर बदलो अभियान में आपकी सहभागिता सुनिश्चित करेगी। वर्तमान में लगभग 11 लाख से अधिक लोगों द्वारा मय प्रतिज्ञा पत्र के द्वारा हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा ली गई है। इन्हीं 11 लाख लोगों के अवदान के कारण 11 जनवरी वर्ष 2020 को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा मातृभाषा उन्नयन संस्थान को विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
‘जन समर्थन अभियान’
‘जन समर्थन अभियान’ के माध्यम से हिन्दी योद्धा लोगों को हिन्दी के प्रति जागरुक करते हैं और फिर हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए उनका लिखित समर्थन प्राप्त करते हैं। इस लिखित समर्थन के दो उपयोग हैं, इससे एक तो हम माननीय न्यायालय में इस समर्थन को जनमत के रूप में बतौर माँग रख सकते हैं, जिससे हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने की राह में स्थापित कदम बनें, साथ ही संसद में भी जनभावनाओं और माँग को दस्तावेज़ी स्वरूप में दर्शाया जा सकता हैं।
बहरहाल, संस्थान लगातार देशभर में विभिन्न माध्यमों से जन जागृति कर ही रही है जो हिन्दी के लिए दूरगामी सुखद परिणाम का कारक बनेगी।
इसी के साथ संस्थान के एक प्रकल्प मातृभाषा.कॉम के माध्यम से हिन्दी की गुणवत्तापूर्ण सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध करवाई जा रही है और हिन्दी के नवांकुर व स्थापित रचनाकारों के रचना कौशल से आम जनता को परिचित भी करवाया जा रहा है।
यह सत्य है कि बड़े लक्ष्य की स्थापना एक रात के स्वप्न में नहीं होती, उसके लिए सतत प्रयत्नशील होना भी आवश्यक है। इसीलिए संस्थान द्वारा सक्रियता से कार्य किया जा रहा है।
वर्तमान दौर में आर्थिक लाभ-हानि महत्त्वपूर्ण है और किसी भी भाषा की प्रासंगिकता भी बाज़ार विनिमय आधारित होती जा रही है। ऐसे दौर में मातृभाषा उन्नयन संस्थान भी हिन्दी को रोज़गारमूलक भाषा बनाने के लिए संकल्पित है, और मज़े की बात तो यह है कि भारत विश्व का दूसरा बड़ा बाज़ार है, यदि भारत के बाजार ने हिन्दी को अनिवार्य करना आरम्भ कर दिया तो यक़ीनन विश्व को भी इस ओर झुकना ही होगा। संस्थान द्वारा यह देवकार्य हिन्दीग्राम के माध्यम से किया जा रहा है।
इसी के साथ-साथ यह भी अखण्ड सत्य है कि किसी भी भाषा का वैभव उसके साहित्य और रचनाकारों की गम्भीरता से प्रदर्शित होता है, इस दिशा में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी के साहित्यकारों की जानकारियों के संग्रहण के लिए ‘साहित्यकार कोश’ बनाया जा रहा है। जिसमें हिन्दी भाषा के साहित्यकारों की जानकारी सम्मिलित होगी। समय आने पर इन साहित्य धरोहरों की मदद भी हिन्दी को समृद्ध करने के लिए ली जाएगी।
साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु प्रकाशन मुख्य आवश्यकता है और इसी के लिए संस्थान का अपना प्रकाशन है संस्मय प्रकाशन। इसके माध्यम से संस्थान शुचितापूर्वक साहित्य प्रकाशित कर हिन्दी उन्नयन के लिए कार्य करेगा।
आज के युग में किसी आंदोलन को स्थापित करने के लिए समाचार संस्थाओं , मीडिया जगत और पत्रकारों का योगदान भी महत्त्वपूर्ण है।
इसी कड़ी में संस्थान की अपनी मासिक पत्रिका ‘साहित्यग्राम’ है और अपना वेब न्यूज़ चैनल ‘ख़बर हलचल न्यूज़’ है। इसी के साथ देश के विभिन्न प्रान्तों से विभिन्न समाचार संस्थानों में कार्यरत लगभग 36000 से अधिक पत्रकारों का समूह इस हिन्दी आंदोलन का अहम अंग हैं।
जब 130 करोड़ से ज़्यादा लोगों की आबादी वाला यह राष्ट्र हिन्दी के लिए जागरुक होने लगा है तो निश्चित तौर पर लक्ष्य प्राप्ति सम्भव है।